माँ प्रेम की मधुशाला



माँ की गोद अच्छी थी 
मैं क्यों खड़ी हो गई 

वो ह्रदय गीत सुनाती 
मैं मंद-मंद मुस्काती 
दुनियाँ की बातें सुनकर 
मैं क्यों उससे दूर हो गई 
माँ ....

अपनी बातें मनवाने को 
मैं जिद्दी-सी हो जाती थी 
हर बात माँ की सच्ची थी 
क्यों अनसुनी हो गई 
माँ ....

नहीं होना था बड़ा
मैं क्यों बड़ी हो गई.


स्वरचित-
डॉ. कीर्ति पाण्डेय

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Comments

  1. दुबारा इसका अनुभव (this time, consciously, in full awareness, ).... की चाह अगर तीव्रता के साथ हो, then strive to become a "pure" being....tthe bliss of childhood happens naturally 😂

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  2. बेहद खूबसूरत

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